भारत ने रविवार को एक बचाव अभियान के तहत में काबुल से 392 लोगों को हवाई माध्यम से निकाला, जिसमें भारतीय नागरिकों के साथ-साथ अफ़ग़ान सिख और हिन्दू नागरिक भी शामिल थे। एयर इंडिया और इंडिगो ने ताजिकिस्तान और कतर के रास्ते दो उड़ानें संचालित कीं।
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सी-17 परिवहन विमान ने 107 भारतीयों और 23 अफ़ग़ान सिखों और हिंदुओं सहित कुल 168 लोगों को काबुल से दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस के लिए उड़ान भरी।
इस अभियान में भारत समर्थित विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत श्रमिकों और इंजीनियरों के अलावा, निकाले गए लोगों में एक शिशु शामिल है, जो अब तक काबुल से एयरलिफ्ट किए गए सबसे कम उम्र का नागरिक है।
इनमें 150 लोगों का वह समूह भी शामिल था जिन्हे काबुल में आधी रात को हवाई अड्डे तक आने की कोशिश में कई मुसीबतें झेलनी पड़ी। एक अन्य विमान दुशांबे से 87 भारतीयों और दो नेपाली नागरिकों को ताजिकिस्तान की राजधानी ले जाने के एक दिन बाद देश ले आया। तीसरी उड़ान 135 भारतीयों को वापस ले आई, जिन्हें पिछले कुछ दिनों में अमेरिका और नाटो विमानों द्वारा काबुल से दोहा लाया गया था। उनमें से अधिकांश विदेशी कंपनियों के कर्मचारी थे और उन्हें उनके नियोक्ताओं द्वारा अन्य राष्ट्रीयताओं के श्रमिकों के साथ निकाला गया।
168 लोगों के समूह में अफ़ग़ानिस्तान की महिला सिख सांसद डॉ अनारकली होनारयार और नरेंद्र सिंह खालसा भी शामिल थे। दिल्ली आने पर नरेंद्र सिंह खालसा ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।
द हिंदू की एक खबर के अनुसार बचाव अभियान को बड़े पैमाने पर एक छोटे बहु-एजेंसी भारतीय दल ने आयोजित किया था, जो अब काबुल हवाई अड्डे पर स्थित है। भारत सरकार द्वारा दूतावास से अपने कर्मचारियों को निकालने के कुछ दिनों बाद इस दल ने कार्यभार संभाला है। विदेश मंत्रालय ने अभी तक इस विकास पर कोई टिप्पणी नहीं की है। प्रारंभिक ख़बरों के अनुसार दाल में सरकार के विभिन्न वर्गों के सात अधिकारी शामिल हैं और इसका नेतृत्व अमेरिका.-नियंत्रित हवाई अड्डे में भारतीय राजनयिक कर रहे हैं।