अल्जीरियाई लोग 12 जून को होने वाले विधायी चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि उत्तरी अफ्रीकी देश में सरकार और विपक्षी समूहों के बीच राजनीतिक तनाव लगातार जारी है। अल्जीरिया में कई लोग चुनावों को सरकार और सेना के लिए और अधिक नियंत्रण करने और विपक्षी आंदोलनों के दमन को जारी रखने के तरीके के रूप में देखते हैं।
अल्जीरिया में कई अधिकार समूहों ने आरोप लगाया कि अल्जीरियाई सरकार, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति अब्देलमदजीद तेब्बौने कर रहे हैं, देश में असंतुष्ट समूहों के ख़िलाफ़ बढ़ते दमन के लिए ज़िम्मेदार है। अल्जीरियाई अधिकार कार्यकर्ता ने पिछले महीने एजेंस फ्रांस-प्रेसे को बताया कि "गहन दमन का सहारा लेकर शासन अपने राजनीतिक दिशानिर्देश की विफलता और देश को संकट में डालने वाले संकट का समाधान करने की उसकी असमर्थता पर प्रकाश डालता है।"
लोकतंत्र समर्थक हीरक आंदोलन का हिस्सा रहे लगभग 800 प्रदर्शनकारियों को पिछले महीने अल्जीरिया में अनधिकृत विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के आरोप में सरकारी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था। मई में, अल्जीरियाई आंतरिक मंत्रालय ने देश में अनधिकृत प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। कई लोगों के अनुसार यह एक ऐसा कदम जिसका उद्देश्य दो साल के लंबे विरोध आंदोलन को समाप्त करना है जो अल्जीरिया में लोकतांत्रिक सुधार लाने का प्रयास कर रहा है।
फरवरी 2019 में, अल्जीरिया भर में तब व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बॉटफ्लिका ने लगभग 20 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद राष्ट्रपति के रूप में पांचवें कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। विरोध आंदोलन या हीराक आंदोलन ने बॉटफ्लिका को सत्ता से बेदखल करने में सफलता हासिल की। बॉटफ्लिका का शासन गहरे भ्रष्टाचार से ग्रस्त था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन के लिए जाना जाता था।
हालाँकि, 2019 में बॉटफ्लिका का पद उनके पूर्व प्रधानमंत्री तेब्बौने ने लिया, जिन्होंने बड़े पैमाने पर राजनीतिक दमन जारी रखा और अल्जीरिया में सुधारों को होने से रोका। नतीजतन, हीरक आंदोलन ने आगामी वोट को खारिज कर दिया है और चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है।
वहीं सरकार ने कहा कि हीरक आंदोलन में आतंकियों ने घुसपैठ की है। मार्च में, एक अल्जीरियाई अदालत ने कई निर्वासित कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इस सूची में पूर्व राजनयिक मोहम्मद लार्बी ज़ीटौट शामिल थे, जिन्होंने 2007 में गैरकानूनी राजनीतिक आंदोलन, रचाद की स्थापना की थी और उन पर आतंकवादी समूह इस्लामिक साल्वेशन फ्रंट (एफआईएस) का वित्त पोषण करने का आरोप है। अल्जीरियाई सरकार और अन्य कार्यकर्ताओं ने राचद पर शांतिपूर्ण लोकतंत्र समर्थक आंदोलन हिराक को हिंसक रूप में बदलने के लिए एफआईएस सेनानियों का उपयोग करने का आरोप लगाया है। अदालत द्वारा ज़िटौट के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के दो महीने बाद, अल्जीरियाई सरकार ने रचाद को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित कर दिया।
इस मुद्दे पर अल्जीरियाई सेना प्रमुख सईद चेंगरिहा ने मंगलवार को सभी दलों से चुनाव को रोकने की इस योजना को अवरुद्ध करने का आह्वान किया। चेंगरिहा ने कहा कि "सभी वरिष्ठ नेताओं को सर्वोच्च नेतृत्व द्वारा जारी निर्देशों और आदेशों को सख़्ती से लागू करना चाहिए और इस चुनाव को रोकने या प्रभावित करने के उद्देश्य से शुरू की गयी किसी भी योजना या कार्रवाई की विफलता सुनिश्चित करनी चाहिए। यह चुनाव के सुरक्षित और सुचारू रूप से चलने को सुनिश्चित करने के लिए है।"
इसके अलावा, 12 जून को चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों ने चुनावों को सफल बनाने और राज्य संस्थानों के निर्माण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मतदाताओं से बड़ी संख्या में मतदान करने का आग्रह किया है। एन्नाहदा पार्टी के महासचिव यज़ीद बेनाइचा ने कहा कि "अल्जीरियाई लोग जो परिवर्तन चाहते हैं, आज एक महत्वपूर्ण स्थिति में है, जो लोकतंत्र और सामाजिक न्याय पर स्थापित एक आधुनिक राज्य की निर्माण प्रक्रिया में योगदान दे सकती है।"
हालाँकि, राजनीतिक भागीदारी के आह्वान के बावजूद, अल्जीरियाई बड़े पैमाने पर मानते हैं कि चुनाव शासन के राजनीतिक हितों के लिए काम करेगा, वो भी लोगों की चिंताओं की कीमत पर, जिसमें आर्थिक और राजनीतिक सुधार लाना शामिल है।