भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनाव अभियान में एक बयान में यह कहा कि बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में अवैध अप्रवासन इसलिए हुआ क्योंकि लोगों को "अपने देश में खाने के लिए पर्याप्त खाना नहीं मिला।" उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मध्य क्षेत्रों में आर्थिक विकास हुआ है, लेकिन इनका विस्तार इसके सीमावर्ती प्रांतों तक नहीं हो पाया है।
शाह के इस बयान की बांग्लादेशी विदेश मंत्री ए.के अब्दुल मोमेन ने आलोचना करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर यह वक्तव्य भारतीय मंत्री की जानकारी के अभाव को दर्शाता है। बांग्लादेश के खिलाफ ऐसे बयान, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देश अपने संबंधों को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं, "अस्वीकार्य" है।
बंगला अखबार, प्रोथोम आलो से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के उत्तरी जिलों में मौसमी गरीबी और भूख शेख हसीना की सरकार के लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप खत्म हो चुकी है। यह स्वीकार करते हुए कि देश ने शिक्षित लोगों को नौकरियों की कमी का सामना करना पड़ा है, उन्होंने स्पष्ट किया कि कम-कुशल श्रमिकों के लिए देश में पर्याप्त अवसर है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश ने 100,000 से अधिक भारतीयों को रोज़गार दिया और बांग्लादेश के नागरिकों को भारत में प्रवास करने की आवश्यकता नहीं थी।
अमित शाह के दावे को खारिज करने के लिए, मोमेन ने कई सामाजिक कारकों पर प्रकाश डाला, जिसमें बांग्लादेश ने जबरदस्त प्रगति दिखाई है। भारत की तुलना में, जहाँ 50% से अधिक लोगों की शौचालयों तक पहुँच नहीं है, बांग्लादेश ने अपनी 90% आबादी को यह सुविधा प्रदान की है।
गृह मंत्री अमित शाह का बयान अंतरराष्ट्रीय संगठनों के रिपोर्ट का भी का खंडन करता है। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर 107 देशों में से 75 वें स्थान पर है, जबकि भारत को 94वा स्थान मिला है। इसके अलावा, बांग्लादेश ने अपनी गरीबी रेखा से नीचे जनसंख्या का प्रतिशत कम करने में सफलता प्राप्त की है जो 2016 में 24.3% से 2019 में 20.5% हो गई है। दूसरी ओर, 2019 में, 22% भारतीय जनसंख्या के गरीबी रेखा से नीचे रहने की सूचना मिली थी।
गृह मंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को सुधारने के प्रयासों में लगा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26-27 मार्च, 2021 में बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा की। यह COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से उनका पहला विदेश दौरा था। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, वह यात्रा "भारत और बांग्लादेश के बीच अर्ध-शतक की साझेदारी का प्रतीक था जो पूरे क्षेत्र के लिए द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक मजबूत, परिपक्व और विकसित मॉडल के रूप में स्थापित हुई है।" उन्होंने अपने बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर चर्चा करने सहित स्वास्थ्य, व्यापार, प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, जल-साझाकरण, ऊर्जा और विकासात्मक सहयोग जैसे क्षेत्रों में हुई प्रगति की समीक्षा करने के लिए भी मुलाकात की। कोरोनोवायरस संकट से निपटने के लिए चल रहे समन्वय के आधार पर, भारत ने बांग्लादेश को वैक्सीन की पर्याप्त घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन की 1.2 मिलियन खुराक दान की।
हालाँकि यह पहली बार नहीं है कि अमित शाह की टिप्पणियों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में खटास आई है। सीएए-एनआरसी के पारित होने के बाद, उन्होंने भारत में बांग्लादेशी प्रवासियों को "दीमक" कहा था। उन्होंने यह भी दावा किया थे की बांग्लादेश में हिंदू समुदाय होने धर्म का अनुकूलन स्वंत्रता से नहीं कर सकते है। मोमेन ने पहले इन टिप्पणियों का जवाब "असत्य" और "अनुचित" करार दिया था।
लगातार राजनयिक प्रयासों की वजह से दोनों देशों के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंधों में कुछ सुधार आये हैं। हालाँकि, दोनों देशों की परस्पर साझेदारी की कोशिशों, विश्वास और मित्रता की बातों के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान कुछ गुटों ने उनका गंभीर प्रतिरोध किया। अब, अमित शाह के इस बयान दोनों देशों के संबंधो में दरार बढ़ सकती है और साथ ही बांग्लादेश में व्याप्त भारत के ख़िलाफ़ भावनाओं को बढ़ाएगा। अतएव भारतीय जनता पार्टी के भारत में चुनावी लाभ को प्राप्त करने की होड़ में भारत की विदेश नीति को हानि पहुँचाती नज़र आ रही है।