अर्मेनिया ने अज़रबैजान पर स्यूनिक प्रांत में अर्मेनिआ के क्षेत्र में सेना भेजने का आरोप लगाया है। येरेवन के अधिकारियों का दावा है कि 12 मई को अज़ेरी सैनिकों ने अपने पिछले स्थिति से अर्मेनिया की ओर 3.5 किमी तक आगे बढ़ आये है। अर्मेनियाई कार्यवाहक प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने शुक्रवार को कहा कि यह घटना अज़रबैजान द्वारा अर्मेनिया में रणनीतिक स्थानों को लेने का एक प्रयास था और कहा कि स्थिति का आकलन करने के बाद अर्मेनिया ने निष्कर्ष निकाला है कि अज़रबैजान का लक्ष्य अर्मेनिया गणराज्य के क्षेत्र में सैन्य संघर्ष को भड़काना है।
अर्मेनिया ने राजनीतिक और सैन्य विकल्पों सहित वर्तमान स्थिति के संबंध में संधि के अनुरूप प्रक्रियाओं को शुरू करने के लिए रूस के नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) से आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया। सीएसटीओ सोवियत संघ के बिखरने के बाद के राज्यों का एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, जिसमें अर्मेनिया, बेलारूस, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान शामिल हैं। अज़रबैजान ने 1999 में संधि से यह तर्क देते हुए निकल गया था कि यह गठबंधन नागोर्नो-काराबाख़ क्षेत्र के बारे में अज़रबैजान की चिंताओं को दूर करने के लिए बहुत कम कर रहा था। सीएसटीओ ने बाकू और येरेवन के बीच 2020 के युद्ध को समाप्त करने के लिए युद्धविराम समझौते तक पहुंचने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अर्मेनिया के कार्यवाहक रक्षा मंत्री वाघर्षक हारुत्युनयन ने शुक्रवार को इस मामले को लेकर सीएसटीओ के महासचिव स्टानिस्लाव जास के साथ बातचीत की। हारुत्युनयन ने बाकू और येरेवन के बीच तनाव को शांतिपूर्वक तरीक़े से निपटाने के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि विवादित नागोर्नो-काराबाख़ क्षेत्र पर पिछले साल के युद्ध के बाद दोनों पक्षों के बीच अज़रबैजान के उकसावे ने क्षेत्र की नाज़ुक शांति स्थिति को काफ़ी ख़तरे में डाल दिया है। ज़ास ने कहा कि सीएसटीओ इस क्षेत्र की गतिविधियों पर बारीकी से नज़र रख रहा है और कहा कि यदि आवश्यक हो, तो संधि चार्टर के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी ओर, अज़रबैजान ने अर्मेनिया के दावों को निराधार कहकर ख़ारिज कर दिया है। अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लेयला अब्दुल्लायेवा ने कहा कि सीमा के मुद्दों का मूल कारण नवंबर 2020 तक अर्मेनिया के अज़रबैजान के क्षेत्रों पर अवैध कब्ज़े में रखना था। इसलिए, दरअसल वह अर्मेनिया है जिसने अज़रबैजान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं का उल्लंघन किया है। अज़रबैजान केवल अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं को बहाल कर रहा है।
क्रेमलिन ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पशिनियन ने नागोर्नो-काराबाख़ के आसपास की स्थिति पर चर्चा करने के लिए फोन पर बातचीत की। बयान में कहा गया कि रूस के राष्ट्रपति ने क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के हित में येरेवन और बाकू के साथ सक्रिय मध्यस्थता और निकट संपर्क के लिए रूस की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। पशिनियन ने पुतिन से कहा कि अर्मेनिया किसी भी उभरती समस्या को हल करने के लिए अज़रबैजान के साथ रचनात्मक बातचीत में शामिल होने को तैयार है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के उप प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका अर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच की सीमा पर स्थिति की बारीकी से नज़र रख रहा है। पोर्टर ने कहा कि विवादित क्षेत्रों में सैन्य आंदोलन गैर-ज़िम्मदाराना हरकत हैं और वह अनावश्यक रूप से उत्तेजक भी हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि अज़रबैजान तुरंत सभी बलों को वापस बुला लेगा और आगे की भड़काऊ गतिविधियों को रोक देगा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने भी नागोर्नो-काराबाख़ में मौजूदा तनाव स्थिति पर चर्चा की और संघर्ष के दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
नीदरलैंड और इटली सहित कई यूरोपीय देशों के सांसदों ने अज़रबैजान से क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का आग्रह किया। इस संबंध में, अर्मेनियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अन्ना नागदालियन ने कहा कि अर्मेनिया को उम्मीद है कि अज़रबैजान पक्ष इन आग्रहों का सम्मान करेगा और स्थिति को और ख़राब नहीं करेगा। अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अज़रबैजान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अहिंसा के आधार पर शांति, सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।