चीन ने शुक्रवार को तिब्बत के सुदूर हिमालयी क्षेत्र में अपनी पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन का संचालन किया, जो प्रांतीय राजधानी ल्हासा और न्यिंगची को जोड़ती है, जो रणनीतिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बती सीमावर्ती शहर है।
पीटीआई की खबर के अनुसार, 1 जुलाई को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शताब्दी समारोह से पहले सिचुआन-तिब्बत रेलवे के 435.5 किलोमीटर लंबे ल्हासा-न्यिंगची खंड का उद्घाटन किया गया है। चाइना स्टेट रेलवे ग्रुप की सहायक कंपनी तिब्बत रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के अनुसार, रेलवे की गति 160 किमी प्रति घंटा है।
सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहली विद्युतीकृत रेलवे शुक्रवार सुबह शुरू की गयी, जो ल्हासा को निंगची से जोड़ने वाली फक्सिंग बुलेट ट्रेन के रूप में पठारी क्षेत्र में आधिकारिक संचालन की शुरुवात है। किंघई-तिब्बत रेलवे के बाद सिचुआन-तिब्बत रेलवे तिब्बत में दूसरा रेलवे होगा। यह किंघई-तिब्बत पठार के दक्षिण-पूर्व से होकर गुज़रेगी, जो दुनिया के सबसे भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है।
नवंबर में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अधिकारियों को तिब्बत में सिचुआन प्रांत और निंगची को जोड़ने वाली नई रेलवे परियोजना के निर्माण में तेजी लाने का निर्देश दिया था, यह कहते हुए कि नई रेल लाइन सीमा स्थिरता की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पूर्वी तिब्बत में ल्हासा को निंगची से जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रैक बिछाने का काम 2020 के अंत तक पूरा कर लिया गया था।
सिचुआन-तिब्बत रेलवे सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदू से शुरू होती है और यान के माध्यम से यात्रा करती है और कम्दो के माध्यम से तिब्बत में प्रवेश करती है, चेंगदू से ल्हासा की यात्रा को 48 घंटे से 13 घंटे तक छोटा कर देती है।
न्यिंगची मेडोग का प्रीफेक्चर स्तर का शहर है जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश का दावा करता है, जिसे भारत ने दृढ़ता से खारिज कर दिया है। भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) शामिल है।
सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने पहले आधिकारिक दैनिक ग्लोबल टाइम्स को बताया कि "यदि चीन-भारत सीमा पर संकट का परिदृश्य होता है, तो रेलवे चीन की रणनीतिक सामग्री की डिलीवरी के लिए एक बड़ी सुविधा प्रदान करेगा।