31 मार्च को, नाइजर में एक बागी सैन्य इकाई ने नवनिर्वाचित मोहम्मद बज़ूम के पद ग्रहण समारोह से दो दिन पहले एक तख़्तापलट की कोशिश में राष्ट्रपति भवन पर हमला किया। हालाँकि इस हमले को कुछ ही घंटों में काबू में कर लिया गया था, इस घटना ने पूरे क्षेत्र में एक दहशत की लहर फैला दी है। इस घटना की निंदा करते हुए पड़ोसी नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी ने कहा कि "तख़्तापलट अब ट्रेंड में नहीं रहा है। हालाँकि क्या यह कहना सही है?"
अगर बुहारी बयान दे रहे है कि तख़्तापलट की प्रवृत्ति कम हो गयी है, तो उसका दावा हाल ही में नाइजर, माली, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, सूडान, म्यांमार, तुर्की, वेनेजुएला, बोलीविया, पेरू, अल साल्वाडोर, हैती, संयुक्त राज्य अमेरिका, जॉर्डन और किर्गिस्तान जैसे कई हाल के तख़्तापलट (सफल और असफल) के अन्य उदाहरणों के बीच गलत साबित होते है।
हालाँकि, यह अधिक संभावना है कि नाइजीरियाई नेता तख़्तापलट के प्रति नकारात्मक धारणा और घटती स्वीकार्यता की बात कर रहे हो , लेकिन उनका यह बयान फिर भी अपने उद्देश्य से भटका हुआ प्रतीत होता है।
पिछले साल अगस्त में, मालियान के राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता के शासन के खिलाफ बढ़ते असंतोष और अस्थिरता के बीच, सेना ने तख़्तापलट कर राष्ट्रपति कीता और प्रधानमंत्री बॉबे कैसे को सत्ता से बाहर कर दिया। तख़्तापलट के तुरंत बाद, पश्चिमी अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय और अफ्रीकी संघ के साथ-साथ यूरोपीय संघ, फ्रांस और अमेरिका जैसे वैश्विक और क्षेत्रीय शक्तियों ने तख़्तापलट की निंदा की और कीता को सत्ता में बहाल करने और नागरिक शासन की वापसी का आह्वान किया।
हालाँकि, कुछ ही हफ्तों बाद, ये सभी इन सभी शक्तियों ने इस घटनाक्रम को भुला दिया। अक्टूबर में, इकोवास ने माली पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया, हालाँकि उन्होंने पहले ऐसा न करने का निर्णय लिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सैन्य जंता ने 18 महीने के भीतर नागरिक शासन में वापसी का वादा किया था। तब से, इकोवास ने लगातार परिवर्तन की अवधि के अंत में सेना को वापस सौंपने की प्रतिबद्धता के साथ अपनी संतुष्टि व्यक्त की है। इसी तरह, अफ्रीकी संघ ने संक्षिप्त समय के लिए माली की सदस्यता को निलंबित कर दिया था लेकिन फिर इसे अक्टूबर में बहाल कर दिया। फ्रांस ने भी, जंता के साथ कूटनीतिक और रणनीतिक चर्चा की और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग बढ़ाया।
इसी तरह, जनवरी में अमेरिका में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा कैपिटल दंगों को यह कह कर उकसाने कि चुनाव गलत तरीके से हुए है की पूरे विश्व ने तीव्र निंदा की थी। तब-सीनेट के प्रमुख नेता मैककॉनेल ने भी संकेत दिया कि वह सीनेट में महाभियोग के पक्ष में मतदान कर सकते है। दरअसल, कई रिपब्लिकन नेताओं ने इसे स्वीकार किया और ट्रम्प की उनके ख़तरनाक नेतृत्व के लिए निंदा की। इतनी अधिक आलोचना और मैककॉनेल के ट्रम्प के "घृणित और अपमानजनक कर्तव्य की उपेक्षा " की निंदा करने के बावजूद के बावजूद ट्रम्प को अंततः विद्रोह के लिए उकसाने के आरोप से बरी कर दिया गया था। हालाँकि, सीनेट के अल्पसंख्यक नेता ने अब कहा है कि अगर ट्रम्प 2024 में फिर राष्ट्रपति के पद के लिए लड़ते है तो पूर्व राष्ट्रपति की तख़्तापलट में प्रमुख भूमिका के बावजूद वह ट्रम्प को पूरा समर्थन देंगे।
इन घटनाओं को भुला देने वाली मानसिकता इस बात का सीधा संदेश है कि तख़्तापलट की प्रवृति अभी भी बनी हुई है। हालाँकि जैसा की बुहारी कहते है, इसका असर इस बात पर निर्भर करता है कि तख़्तापलट को कितने दिन हो चुके है।
अन्य उदाहरणों में, यह तख़्तापलट के बारे में विचारों को आकार देने की नेताओं की क्षमता से संबंधित है कि वह कैसे उसे एक मुक्ति, स्वतंत्रता आंदोलन, या एक लोकप्रिय विद्रोह के रूप में घटना के एक लोकप्रिय पुनर्परिभाषित करने में सक्षम हैं। उदाहरणतः इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन को अमेरिकी सहायता प्राप्त गुटों द्वारा उखाड़ फेंकने और निकारागुआ, डोमिनिकन गणराज्य, पनामा, मिस्र, ईरान, गुएतमाला, पैराग्वे, वियतनाम, चिली और ग्रेनाडा में 20वीं शताब्दी में इसी तरह की घटनाएं शामिल हैं।
हाल ही में, नवंबर 2019 में, समाजवादी बोलीविया के नेता इवो मोरालेस को गहन सैन्य दबाव में इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया था, जो अक्टूबर 2020 के चुनाव तक दक्षिणपंथी सीनेटर जीनिन अनेज के लिए अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में नियंत्रण पाने का मार्ग प्रशस्त करने का तरीका था। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि यह तख्तापलट अमेरिका द्वारा समर्थित था, और इन दावों को टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क ने ट्वीट करके मज़बूत किया है- “हम जहा चाहते हैं वह तख़्तापलट करेंगे! हालत से समझौता करो।" यह उस पर ट्वीट के जवाब में था जिसमें एक व्यक्ति ने लिखा था कि “क्या आप जानते हैं कि यह लोगों के सर्वोत्तम हित में नहीं था? अमेरिकी सरकार बोलीविया में ईवो मोरालेस के खिलाफ तख़्तापलट का इंतेज़ाम कर रही है ताकि आप वहां से लिथियम प्राप्त कर सकें। "
फिर भी, बोलीविया में शासन परिवर्तन में अमेरिकी भागीदारी की मौन स्वीकृति के बावजूद यह घटना पश्चिमी मीडिया में एक शासक को उखाड़ फेंकने के लिए एक लोकप्रिय विद्रोह के रूप में जानी जाती है, जो कार्यालय में असंवैधानिक चौथे कार्यकाल के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। हालाँकि, इस विद्रोह के लोकप्रिय होने के भ्रामक अंदाज़े का इसी बात से पता चलता है कि अनेज को प्रारंभिक चुनावों में इतने काम मत मिले की उन्होंने अक्टूबर 2020 के चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और मोराल्स मूवमेंट टूवर्ड सोशलिज्म (एमएएस) पार्टी ने एक बार फिर से आसानी से जीत हासिल कर प्रेसीडेंसी का नियंत्रण वापस ले लिया।
अंततः, बुहारी के बयान के बावजूद तख़्तापलट की प्रवृत्ति काफी हद तक अब भी अपरिवर्तित है। जैसा कि माली की घटनाओं से पता चलता है, चाहे तख़्तापलट को निंदनीय कार्य के तौर पर देखा या माना जाना इस बात पर निर्भर करता है कि यह अभी भी क्षेत्रीय और वैश्विक नेता किस स्तर तक इसके प्रति प्रतिबद्ध है या इनको किस रूप में पेश किया जा रहा है।
यह म्यांमार के लिए चिंताजनक साबित हो सकता है, जो फरवरी में सेना या ततमादव के नेतृत्व वाले तख़्तापलट के खूनी प्रभाव से अब भी उबर नहीं पाया है। यदि ततमादव अपरिवर्तनीय रूप से सरकार पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में सक्षम हो जाता है तो वैश्विक विरोधों, प्रतिबंधों और आलोचना कुछ महीनों बाद अपने आप ख़त्म हो जाएंगी। जिसमे अंतर्राष्ट्रीय नेता और संगठनओं नए सैन्य शासन को नए सामान्य के रूप में मानने लगेंगे। समान रूप से इस मामले में अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों के पास बहुत अधिक क्षमता है कि वह घटनाओं को तख़्तापलट के तौर पर न दिखा कर एक मुक्ति आंदोलन में तब्दील कर सकते है। यह अनिवार्य रूप से शक्तिशाली राष्ट्रों को विदेशी हस्तक्षेप और शासन परिवर्तन के माध्यम से उपग्रह राज्य बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है जो लोगों की इच्छा का सम्मान नहीं करते हैं। सभी बातों पर विचार किया गया, यह स्पष्ट है कि तख़्तापलट पहले की तुलना में कम लोकप्रिय नहीं हैं और उनके बने रहने की संभावना से अधिक हैं।