बुधवार को, यूरोपीय आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर सख्त नियम लागू करने के प्रस्ताव को पेश किया, जो तकनीकी विनियमन पर कानूनों को पेश करने में अग्रणी के रूप में उभरेगा। यह सरकारों और कंपनियों द्वारा एआई के उपयोग पर प्रतिबंधों को निर्धारित करता है और उन प्रणालियों पर रोक लगाता है जो सुरक्षा, आजीविका और लोगों के अधिकारों के लिए स्पष्ट खतरा पैदा करते हैं। यदि पारित हो जाता है, तो कानून एआई के उपयोग को बैंक ऋण, स्कूल नामांकन और भर्ती के निर्णयों सहित कई गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित कर देगा। इस कानून ने समूह में शामिल अदालतों और कानून प्रवर्तन निकायों द्वारा एआई के उपयोग को भी संबोधित किया गया है। इनमे एआई को उच्च जोखिम के तौर पर माना जाता है क्योंकि इसमें प्रभावित नागरिकों की सुरक्षा और मौलिक अधिकारों को खतरा हो सकता है। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय सुरक्षा के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर "रेमोटेड बायोमेट्रिक पहचान" के उपयोग पर प्रतिबंध भी लगाता है।
108 पेज के इस दस्तावेज़ का उद्देश्य एआई के कंपनियों और सरकारों द्वारा इसके अत्यधिक और व्यापक उपयोग को अग्रिम कार्यवाही कर नियंत्रण में लाना है। इस प्रस्ताव से कंपनियों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में एआई के उपयोग और इसकी सुरक्षा के नियामक निकायों को आश्वस्त करने के लिए विवरण देना होगा। इसके अलावा, उन्हें इसके उपयोग और निर्माण के मानवीय निरीक्षण के प्रमाण भी देने होंगे। प्रस्ताव के प्रावधानों का पालन करने में विफलता से कंपनी की वैश्विक बिक्री में छह प्रतिशत तक जुर्माना लग सकता है।
गूगल, फेसबुक और अमेज़न सहित तकनीकी कंपनियों द्वारा इस योजना का विरोध किए जाने की संभावना है, जिन्होंने पहले से ही एआई विकास में निवेश किया है। इसके अलावा, अन्य छोटी कंपनियां, जो चिकित्सा अनुसंधान, बीमा पॉलिसी और अन्य बीमा-संबंधित डेटा के लिए ऐसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग करती हैं भी इस तरह के कानून से भी प्रभावित हो सकती हैं। इस संबंध में, कई आलोचकों ने कानून द्वारा अत्यधिक प्रतिबंधों के कारण कंपनियों और प्रौद्योगिकियों पर हो सकने वाले प्रभाव पर भी चिंता जताई है। लंदन में ऐडा लवलेस संस्था के निदेशक कार्ली काइंड ने कहा, "अगर यह कानून निश्चित दिशानिर्देशों को सामने नहीं रखता है तो इसमें कई प्रकार की व्याख्याओं की जगह बन सकती है।" इसके अलावा, सेंटर फॉर डेटा इनोवेशन के एक वरिष्ठ नीति विश्लेषक बेंजामिन म्युलर ने कहा कि प्रस्ताव संभावित रूप से एआई के विकास को ''बेहद महंगा या तकनीकी रूप से असंभाव्य बना सकता है। उन्होंने कहा, यह अमेरिकी और चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचा सकता है क्योंकि समूह "अपने स्वयं के स्टार्टअप्स की संभावनाओं को सीमित कर देगा।"
दूसरी ओर, कई तकनीकी कानून लॉबिस्टों ने एआई के अनुचित उपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त कानून नहीं बनाने की आलोचना की है। इस संबंध में, यूरोपीय डिजिटल राइट्स के वरिष्ठ नीति सलाहकार, सारा चंदर ने कहा कि प्रस्ताव में निर्धारित छूट को व्यापक रूप से तैयार किया गया है, जो इस कानून का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता।
इस प्रस्ताव के बारे में ख़ुशी जताते हुए यूरोपीय आयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष, मार्गेटे वेस्टेगर ने कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विश्वास अच्छा होने से अधिक महत्त्वपूर्ण है। इन ऐतिहासिक नियमों के साथ, ई.यू. यह सुनिश्चित करने के लिए नए वैश्विक मापदंड बना रहा है जिसके अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विश्वास किया जा सकेगा।"
यूरोपीय संघ प्रौद्योगिकी और डेटा गोपनीयता के नियमन में अग्रणी के तौर पर उभरा है। इसने अपने आप को अक्सर तकनीकी कंपनियों के आमने सामने पाया जाता है, विशेष रूप से एंटी-ट्रस्ट कानूनों और सामग्री-मॉडरेशन नीतियों की वजह से। कई देश भी प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दों पर समूह के कानूनों मॉडल के तौर पर देखते हैं और अक्सर अपनी नीतियों के ब्लूप्रिंट के रूप में उनका उपयोग करते हैं। परिणामस्वरूप, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित दुनिया भर के देश, तकनीकी विनियमन पर नीतियों पर बहस कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, इस हफ्ते की शुरुआत में, अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग ने एआई सिस्टम में इस्तेमाल किए जा रहे नस्लीय पक्षपाती एल्गोरिदम पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, यूके उद्योग को विनियमित करने के विशिष्ट उद्देश्य के लिए एक निकाय बनाने की प्रक्रिया में है।
हालाँकि, यूरोपीय संघ की योजना अभी भी एक लंबी प्रक्रिया में है क्योंकि इसमें यूरोपीय संसद के अनुमोदन की आवश्यकता है, जिसमें यूरोपीय संसद के साथ-साथ प्रत्येक सदस्य देशों की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह संभावित रूप से इसके शीघ्र कार्यान्वयन में बाधा बन सकता है। फिर भी, यह एआई के विनियमन को बढ़ाने और इसके शोषणकारी उपयोग को बाधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।