फाइव आईज गुट, जो ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और न्यूज़ीलैंड के एक खुफिया-साझाकरण नेटवर्क है, ने बुधवार को साइबर सुरक्षा कमजोरियों के बारे में एक चेतावनी जारी की है। इसमें हैकर्स द्वारा हाल ही में किए गए चीन के साइबर हमलों के बाद शोषण कर सकने की आशंका जताई गयी हैं।
अपनी सहयोगी एजेंसियों के साथ एक संयुक्त बयान में, ऑस्ट्रेलियाई साइबर सुरक्षा केंद्र (एसीएससी) ने पिछले 18 महीनों में हैकर्स द्वारा शोषण की गई शीर्ष 30 साइबर सुरक्षा कमजोरियों पर सलाह जारी की। पांच एजेंसियों ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) और क्लाउड-आधारित सेवाओं सहित दूरस्थ कार्य विकल्पों का उपयोग करने वाले साइबर हमलावरों के लिए बढ़े हुए अवसरों की भी चेतावनी दी। उन्होंने दूरस्थ कार्य विकल्पों से संबंधित पिछले साल की चार सबसे लक्षित कमजोरियों का भी उल्लेख किया।
एसीएससी प्रमुख, अबीगैल ब्रैडशॉ ने कहा कि "दुर्भावनापूर्ण साइबर हमलावर माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सहित रोजमर्रा के उत्पादों में कमजोरियों का फायदा उठाना जारी रखेंगे, जब तक कि कमजोरियों को तत्काल संबोधित नहीं किया जाता।" इसी तरह, अमेरिकी साइबर सुरक्षा एजेंसी के एरिक गोल्डस्टीन ने कहा कि "संगठन जो साइबर सुरक्षा की सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करते हैं, जैसे पैचिंग और इसके ज़रिए वह अपने नेटवर्क में ज्ञात कमजोरियों का फायदा उठाने वाले साइबर शक्तियों के लिए अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।
यह चेतावनी इस महीने की शुरुआत में चीन के राज्य सुरक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित साइबर हमलों की एक श्रृंखला के बाद आई है, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट एक्सचेंज सॉफ्टवेयर पर हमला भी शामिल है। साइबर खतरों में चीनी सरकार से संबद्ध हैकरों द्वारा रैंसमवेयर हमला शामिल था, जिन्होंने अमेरिका और अन्य जगहों पर अपने लक्षित पीड़ितों से लाखों डॉलर की मांग की थी। अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने रैंसमवेयर हमले की निंदा की और बीजिंग पर साइबर हमलों के समन्वय और बौद्धिक संपदा की चोरी के लिए संगठित अपराधियों को काम पर रखने का आरोप लगाया। इस बारे में, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक बयान में कहा कि "इन कार्रवाइयों ने साइबर अपराधियों सहित कई अन्य शक्तियों के लिए दरवाजे खोलकर अंतरराष्ट्रीय स्थिरता और सुरक्षा को कम कर दिया है, जो अवैध लाभ के लिए इस भेद्यता का फायदा उठाना जारी रखते हैं।"
हालाँकि, ऑस्ट्रेलिया में चीनी दूतावास ने आरोपों का खंडन किया। इसने कहा कि "ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड भी खराब रहा है, जिसमें अपने सबसे बड़े पड़ोसी देश के राष्ट्रपति के मोबाइल फोन की निगरानी करना शामिल है। साथ ही फाइव आईज़ गुट के ढांचे के तहत अमेरिका की छिपकर बातें सुनने की गतिविधियों के लिए एक सहयोगी के रूप में कार्य करने का उल्लेख नहीं करना।"
इससे पहले, फाइव आईज़ गुट ने भी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कुछ तनाव पैदा किया था, जब बाद में खुफिया-साझाकरण गुट के सीमाओं का विस्तार करने पर आपत्ति जताई और चीन पर दबाव बनाने के लिए मंच का उपयोग करने पर चिंता व्यक्त की थी। इस बारे में न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री नानिया महुता ने कहा था कि 'हम फाइव आईज के दायरे का विस्तार करने से असहज हैं। हम कई मुद्दों पर अपने हितों को व्यक्त करने के लिए बहुपक्षीय अवसरों की तलाश करना पसंद करेंगे।”