प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गेहूं या मैसलिन आटा के निर्यात प्रतिबंध से छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
मंज़ूरी से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिल जाएगी जो गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर को और अधिक बढ़ने से रोकेगा और समाज के सबसे कमज़ोर वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
रूस और यूक्रेन गेहूँ के प्रमुख निर्यातक हैं जो वैश्विक गेहूँ व्यापार का लगभग एक चौथाई हिस्सा विश्व के कई देशों को निर्यात करते हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण वैश्विक गेहूं आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है, जिससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है। इसके नतीजतन, घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत में वृद्धि देखी गई।
देश के 1.4 अरब लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। हालांकि, गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण (जो घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था), विदेशी बाजारों में गेहूं के आटे की मांग बढ़ गई है और इसका भारत से निर्यात हो रहा है। अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान 2021 की इसी अवधि की तुलना में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के आटे की बढ़ती मांग के कारण घरेलू बाजार में गेहूं के आटे की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
इससे पहले, गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी। इसलिए, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की आवश्यकता थी।
इससे पहले भी भारत ने गेहूँ के निर्यात पर रोक लगाने की कोशिश की थी लेकिन वैश्विक मांग और दबाव के कारण फैसले को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस आशय की अधिसूचना जारी करेगा।