भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भारतीय सौर निर्माता एसोसिएशन (इएसएमए) द्वारा एक आवेदन जमा किए जाने के बाद चीन, थाईलैंड और वियतनाम से सौर सेल के आयात के ख़िलाफ़ डंपिंग रोधी जांच शुरू की है, जो सौर मॉड्यूल के निर्माण में उपयोग किए जाने वाला बुनियादी घटक हैं। । व्यापार उपचार महानिदेशालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि तीनों देशों के उत्पादों के ख़िलाफ़ फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल की डंपिंग के प्रथम सबूत पाए गए है, जिससे स्थानीय ऊर्जा उद्योग को नुकसान हुआ है।
जबकि कम मॉड्यूल की कीमतों ने फोटो-वोल्टाइक टैरिफ को 1.99 रुपये प्रति यूनिट के वर्तमान निम्न स्तर पर लाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। स्थानीय निर्माताओं को अपना सामान बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके प्रतिद्वंदियों की कीमतों ने घरेलु सौर ऊर्जा क्षेत्र को आयात पर निर्भर बना रखा है। दरअसल चीन के उत्पाद भारतीय समकक्षों की तुलना में 15-20% सस्ते हैं।
यह पहली बार नहीं है कि नई दिल्ली द्वारा डंपिंग रोधी जांच शुरू की गई है। जुलाई 2017 में, चीन, ताइवान और मलेशिया से सौर सेल के आयात के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा इसी तरह की डंपिंग रोधी जांच शुरू की गई थी, जब इएसएमए ने एक याचिका दायर कर सरकार से उन पर कार्रवाई करने का आग्रह किया था और दावा किया गया था कि यह सौर सेल, मॉड्यूल, पैनल, ग्लास, कुछ अन्य उपयुक्त सबस्ट्रेट्स के लिए चीन, ताइवान और मलेशिया से उत्पन्न निर्यात या अनुचित आयात में लिप्त है।
उस समय, हालाँकि यह पता चलने के बावजूद कि विचाराधीन देशों के सौर सेल और मॉड्यूल निर्माता एक प्रमुख बाज़ार हिस्सेदारी हासिल करने और पीवी कीमतों को अनुचित और अप्रतिस्पर्धी स्तर तक कम करने के लिए भारतीय बाजारों में अपनी उपज डंप कर रहे थे, इएसएमए ने सरकार से जांच वापस लेने का अनुरोध किया था। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक संतुलित उपाय के रूप में, केंद्र सरकार ने जुलाई 2018 में चीन और मलेशिया से सौर आयात पर दो साल के लिए 25% सुरक्षा शुल्क लगाया था, जिसे जुलाई 2021 तक 15% की दर से बढ़ा दिया गया था।
हालाँकि जब से रक्षा के उपाय के तौर पर लगाए गए शुल्क ने चीन और मलेशिया से आयात को नियंत्रित किया है, तब से सौर आयात वियतनाम और थाईलैंड से बढ़ गया है। वित्तीय वर्ष 2018 और वित्तीय वर्ष 2020 के बीच, वियतनाम और थाईलैंड से सोलर सेल और मॉड्यूल के आयात में क्रमशः 800% और 5,750% की वृद्धि दर दर्ज हुई है, जो क्रमशः 136 मिलियन डॉलर और 117 मिलियन डॉलर है। इसी अवधि में, चीन से आयात 60% गिरकर 1.3 बिलियन डॉलर हो गया है।
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने अप्रैल में सौर मॉड्यूल निर्माण के लिए 4,500 करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना भी पेश की थी। इंडिया रेटिंग्स के विश्लेषकों के मुताबिक, यह योजना पंचवर्षीय योजना के तहत विकसित उत्पादन क्षमता को 20 गीगावॉट घरेलू उत्पाद की बिक्री से ज़्यादा बढ़ाएगी।