मंगलवार को, फिलीपींस के विदेश मंत्री तेओडोरो एल लोक्सिन जूनियर ने अपने जापानी समकक्ष मोतेगी तोशिमित्सु के साथ 25 मिनट की टेलीफोन वार्ता की। दोनों मंत्रियों ने म्यांमार की स्थिति और पूर्व और दक्षिण चीन सागर में चीनी आक्रामकता पर चर्चा की।

मंत्रियों ने पहले म्यांमार में बढ़ते संघर्ष पर अपने विस्तृत विचारों का आदान-प्रदान किया और अपनी राय व्यक्त की कि म्यांमार में नागरिकों के खिलाफ हिंसा को तुरंत रोका जाना चाहिए। दोनों देशों ने शत्रुता को समाप्त करने की दिशा में निकटता से काम करने के लिए सहमत हुए और जो लोग हिरासत में लिए गए है, उनकी रिहाई और लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में वापसी की संभावनाओं पर चर्चा की।

मोतेगी ने कहा कि एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान)-ब्रूनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम से मिलकर म्यांमार की स्थिति को नियंत्रित करने में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। । उन्होंने इस शनिवार को जकार्ता, इंडोनेशिया में होने वाली आगामी आसियान नेताओं की बैठक में हालात को काबू करने के प्रयासों के लिए टोक्यो के मजबूत समर्थन को व्यक्त किया। वार्ता में उम्मीद है कि 1 फरवरी से म्यांमार में चल रहे संकट को दूर करने का उपाय ढूँढेगी, जिसमें तातमाडोव ने एक साल के लिए सरकार पर ज़बरन कब्ज़ा कर लिया और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यांत को संसद के कई सदस्यों (सांसदों) के साथ हिरासत में ले लिया था।

इस कदम की लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने कड़ी आलोचना की है। हालाँकि इस परिपेक्ष्य में एशियाई समूह ने म्यांमार के सैन्य जंता नेता, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग को निमंत्रण दिया है, और इससे जंता सरकार को संघर्ष-ग्रस्त देश के वास्तविक नेता के रूप में मान्यता मिल गयी है। इसके विपरीत म्यांमार की हाल ही में बनी राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) जिसमें जातीय अल्पसंख्यक नेताओं और नेताओं से लेकर आंग सान सू की की नेशनल लीग ऑफ़ डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी शामिल है को इस बैठक का न्योता नहीं मिला है। एनयूजी ने बैठक में प्रतिनिधित्व का अनुरोध किया है, जिसमें ASEAN से तातमाडोव के शासन की मान्यता को अस्वीकार करने का आग्रह किया गया है।

इसके अलावा, दोनों मंत्रियों ने पूर्व और दक्षिण चीन सागर में वर्त्तमान स्थिति को बदलने के चीन के एकतरफा प्रयासों के बारे में अपनी "गंभीर चिंताओं" को भी साझा किया। मोंटेगी ने चीनी तटरक्षक (सीसीजी) जहाजों द्वारा जापान में सेनकाकू द्वीपों के आसपास के क्षेत्रीय जल में घुसपैठ की बात कही। भले ही चीन ने कई अवसरों पर ज़ोर दिया है कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर (एससीएस / ईसीएस) में इसका निर्माण और उपस्थिति शांतिपूर्ण है, इस वृद्धि से जापान और चीन के अन्य छोटे समुद्री पड़ोसियों को खतरा है। दोनों पक्षों के बीच ईसीएस में सेनकाकू द्वीप समूह को लेकर लंबे समय से संघर्ष चल रहा है, जिसे चीन अपना दावा करता है और दियाओयू द्वीप के सन्दर्भ में अपने दावे का समर्थन करता है। चीन के क्षेत्रीय दावे कई राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा निराधार करार दिए जा चुके है और उनको अवैध भी घोषित किया जा चुका है।  उसके बावजूद चीन ने इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण जारी रखा है।

चीनी आक्रमण के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई में टोक्यो ने भी मनीला को समर्थन दिया है। पिछले महीने, जापान ने 1 मिलियन डॉलर की कीमत से अपनी आत्मरक्षा बल की बचाव प्रणाली को आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए ) के माध्यम से फिलीपींस की सेना को दिया जिससे बीजिंग की नौसेना की आक्रामकता के खिलाफ वह खुद को सुरक्षित कर सके। इसके अलावा, जापान कोस्ट गार्ड विशेषज्ञों को प्रशिक्षण और निर्देश देने और फ़िलीपीन्स भेजेगा जिससे वह सिस्टम से जुड़ी जानकारी उन्हें दे सके। दोनों मंत्रियों ने अपनी बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों देश भारत-प्रशांत में एक नियम-आधारित, स्वतंत्र और खुले समुद्री प्रणाली को बनाए रखने में निकट सहयोग करेंगे।

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Statecraft Staff

Editorial Team