केन्याटा और जॉनसन का अमीर देशों को ग़रीब देशों में शिक्षा सहायता देने हेतु आह्वान

दोनों नेताओं एक वैश्विक पहल के तहत धन जुटाने की मांग की जो 87 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 175 मिलियन बच्चों की शिक्षा का समर्थन कर सकती है

मई 17, 2021
केन्याटा और जॉनसन का अमीर देशों को ग़रीब देशों में शिक्षा सहायता देने हेतु आह्वान
Source: Global Partnership for Education

गुरुवार को, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक वर्चुअल बैठक की जिसमें उन्होंने दुनिया के समृद्ध देशों से शिक्षा के लिए वैश्विक भागीदारी (जीपीई) पहल का समर्थन करने का आह्वान किया, जिसका उद्देश्य शिक्षा कम आय वाले देशों में बच्चों के बीच का स्तर को बढ़ाना  है। उनकी बैठक में नैरोबी और लंदन के स्कूली बच्चों की साथ एक वर्चुअल बातचीत भी शामिल थी।

इसके अलावा इस बैठक में शिक्षा के मंत्रिमंडल सचिव जॉर्ज माघोआ, सूचना और संचार के कैबिनेट सचिव जो मुचेरू, लोक सेवा के प्रमुख जोसेफ किनुआ, सांसद टिम वान्योनी, राष्ट्रपति रूथ कागिया के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार भी उपस्थित थे। इस बीच, ब्रिटिश पक्ष का प्रतिनिधित्व नैरोबी जे मैरियट में ब्रिटिश उच्चायुक्त द्वारा किया गया था। ब्रिटिश नेता ने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड को भी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया क्योंकि वह जीपीई की अध्यक्ष हैं।

जीपीई का 5 बिलियन डॉलर का वित्त पोषण लक्ष्य है, जिसे 87 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 175 मिलियन बच्चों की शिक्षा का समर्थन करने के लिए निर्देशित किया जाएगा। जीपीई की वेबसाइट इसे सबसे बड़ी वैश्विक निधि के रूप में वर्णित करती है जो पूरी तरह से निम्न-आय वाले देशों में शिक्षा को बदलने के लिए समर्पित है। फंड के दाता ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, यूरोपीय संघ, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, जापान, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विटज़रलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में हैं।

जीपीई नागरिक समाज संगठनों (जैसे ग्लोबल कैम्पेन फॉर एजुकेशन एंड एजुकेशन इंटरनेशनल, बहुपक्षीय संगठनों (जैसे विश्व बैंक, अफ्रीकी विकास बैंक, एशियाई विकास बैंक, इस्लामी विकास बैंक, यूनिसेफ, यूनेस्को और यूएनसीएचआर), निजी क्षेत्र (उदाहरण के लिए ग्लोबल बिज़नेस कोएलिशन फॉर एजुकेशन), निजी फाउंडेशन (जैसे चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड फाउंडेशन, कॉमिक रिलीफ, दुबई केयर्स, कॉनराड हिल्टन फाउंडेशन, ओपन सोसाइटी फाउंडेशन, पोर्टिकस और रॉकफेलर फाउंडेशन), युवा और शिक्षक संगठन, और कई अंतरराष्ट्रीय दाताओं के साथ मिल कर काम करता है।

संगठन के लक्ष्यों का समर्थन करते हुए, केन्या और ब्रिटेन जुलाई में एक उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेंगे जिसमें एक अनुदान इकठा करने वाला कार्यक्रम शामिल होगा।

केन्याटा ने बैठक में कहा कि "दुनिया के कुछ हिस्सों जैसे केन्या और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में संसाधनों की कमी है। यही कारण है कि बोरिस और मैं दरअसल अगले कुछ महीनों में पैसे जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई बच्चा पीछे न रहे और हर किसी के पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर हो जो उन्हें बेहतर नागरिक बनने के लिए एक गुणवत्तापूर्ण नींव प्रदान करें। 

इस बीच, प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा कि "हम चाहते हैं कि दुनिया एक साथ आए और सबसे अमीर देश ग्रह के युवाओं को शिक्षित करने में बड़ा योगदान दें। हम डिजिटल डिवाइड को मिटाना चाहते हैं और हम प्रौद्योगिकी से लोगों की मदद करने जा रहे हैं और हम लड़कों और लड़कियों के बीच के अंतर पर भी बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का लक्ष्य 88 मिलियन लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि "कुछ देशों में लड़कियों को वह शिक्षा नहीं मिल रही है जिसकी उन्हें आवश्यकता है और जब शिक्षा की बात आती है तो लोग लड़कियों के साथ लड़कों जैसा व्यवहार नहीं कर रहे हैं। उन्हें समान वित्त पोषण और ध्यान नहीं मिल रहा है।”

केन्या और ब्रिटेन के नेताओं के बीच नवीनतम बातचीत दो सप्ताह पहले एक बैठक के बाद हुई, जब जॉनसन ने जीपीई के लिए ज़रूरी 5 अरब डॉलर जुटाने का वादा किया था। केन्याटा और जॉनसन यह उम्मीद करते है कि जुलाई में वैश्विक शिक्षा शिखर सम्मेलन में यह लक्ष्य हासिल कर वह इसकी घोषणा कर सकें। 

लेखक

Statecraft Staff

Editorial Team