मेडागास्कर में पुलिस ने पिछले महीने राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना पर हत्या के एक असफल प्रयास के सिलसिले में 21 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसे अधिकारियों ने तख्तापलट का प्रयास बताया है। गिरफ्तार किए गए 21 लोगों में 12 सैन्यकर्मी हैं, जिनमें पांच जनरल, दो कैप्टन और पांच गैर-कमीशन अधिकारी शामिल हैं। चार सेवानिवृत्त राष्ट्रीय और विदेशी पुलिस और सैन्य अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनमें दो फ्रांसीसी नागरिक भी शामिल हैं, जबकि शेष पांच नागरिक है। इसके अलावा, अधिकारियों ने दो कारों, एक बन्दूक और 250,000 डॉलर को ज़ब्त किया है।
अटॉर्नी जनरल बर्थिन रज़ाफिरिवोनी ने कहा कि गिरफ्तारी राज्य की सुरक्षा पर हमले की जांच के बाद की गई थी और पता चला कि योजना में अन्य वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारियों की हत्या और उनको बेअसर भी शामिल है। उन्होंने कहा कि "जांचकर्ताओं के हाथ में भौतिक साक्ष्य मूर्त है और इससे ऑपरेशन के मुख्य भड़काने वालों की पहचान करना संभव हो गया है।"
दरअसल, 26 जून को राष्ट्रपति के आलोचनात्मक सहयोगी माने जाने वाले जनरल रिचर्ड रावलोमनाना की हत्या का एक और प्रयास हुआ था।
राजोएलिना पहली बार 2009 में तत्कालीन नेता मार्क रावलोमनाना को बाहर करने के लिए एक सैन्य समर्थित तख्तापलट के माध्यम से सत्ता में आए थे। वह 2014 तक परिवर्तनकालीन अध्यक्ष के रूप में बने रहे, फिर 2018 में रावलोमनाना को 56% वोटों से हराया, एक चुनाव में धोखाधड़ी के आरोपों से जूझ रहे थे।
यह राजनीतिक अशांति देश में गंभीर सूखे और भोजन की कमी के समय आयी है। मेडागास्कर में दुनिया में चौथी सबसे अधिक कुपोषण दर है। जून में, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के कार्यकारी निदेशक डेविड बेस्ली ने कहा कि देश अपने चार दशकों में सबसे खराब सूखे से गुज़र रहा है, जिससे कई परिवारों को डब्ल्यूएफपी खाद्य वितरण स्थानों तक पहुंचने के लिए घंटों यात्रा करनी पड़ रही है।
बेस्ली ने घोषणा की कि "यह युद्ध या संघर्ष के कारण नहीं है, यह जलवायु परिवर्तन के कारण है।" देश में 1.14 मिलियन से अधिक लोग खाद्य असुरक्षित हैं और देश में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में वैश्विक तीव्र कुपोषण (जीएएम) का स्तर फरवरी से बढ़कर 16.5 प्रतिशत हो गया है।
इसी तरह, मई में, डब्ल्यूएफपी के संचालन के वरिष्ठ निदेशक, आमेर दाउदी ने कहा कि मेडागास्कर में 1.35 मिलियन लोगों को आपातकालीन भोजन और पोषण सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के दौरान, दक्षिणी जिलों में तीव्र कुपोषण 9% से बढ़कर 16% और कुछ जिलों में 27% हो गया है।
आर्थिक मंदी की निरंतर अवधि के अलावा, इस भूख संकट के लिए बार-बार सूखे, रेत के तूफान, और अन्य चरम जलवायु परिवर्तन को भी ज़िम्मेदार ठहराया गया है।