प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ टेलीफोन पर बात की। इस बातचीत के दौरान उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत-फ्रांस साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की समीक्षा की।
साथ ही दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। इस संदर्भ में, उन्होंने आतंकवाद, नशीले पदार्थों, अवैध हथियारों और मानव तस्करी के संभावित प्रसार के साथ-साथ मानवाधिकारों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में अपनी चिंताओं को साझा किया।
नेताओं ने भारत-फ्रांस सामरिक साझेदारी की भावना से घनिष्ठ और नियमित परामर्श जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, जो दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों का आधार है।
दिलचस्प बात यह है कि यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब फ्रांस ने एयूकेयूएस समझौते के चलते अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। ऑस्ट्रेलिया ने इस समझौते के चलते फ्रांस के साथ एक पनडुब्बियों का समझौता रद्द कर दिया था। इसके बाद फ्रांस ने आरोप लगाया था कि उसे इसके बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इस समझौते का महत्त्व है कि यह अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को हिंद -प्रशांत क्षेत्र में चीन से होने वाले खतरे का मुकाबला करने में मदद करेगा। ऐसे में भारत क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण देश है।