गुरुवार को, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् (यूएनएचआरसी) ने घोषणा की कि वह गाज़ा में हालिया संघर्ष के दौरान और इज़रायल और फिलिस्तीनी दोनों क्षेत्रों में व्यवस्थित संघर्ष के दौरान किए गए उल्लंघनों की जांच शुरू करेगी। प्रस्ताव को 47 में से 24 सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया है और समूह पहचान के आधार पर व्यवस्थित भेदभाव ,दमन सहित, आवर्तक तनाव और अस्थिरता के अंतर्निहित मूल कारणों की जांच के लिए जांच की मांग करता है।
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और फिलिस्तीन के समन्वयक के रूप में पाकिस्तान द्वारा पिछले गुरुवार को एक आधिकारिक अनुरोध के बाद प्रस्ताव पर मतदान के लिए सदस्यों के सामने रखा गया था, जिसमें पूर्व जेरूसलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में गंभीर मानवाधिकारों की स्थिति की समीक्षा की गई थी।
एक विशेष सम्मेलन बुलाने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को 20 परिषद् सदस्यों ने समर्थन दिया: बहरीन, बांग्लादेश, बोलीविया, बुर्किना फासो, चीन, कोटे डी आइवर, क्यूबा, इरिट्रिया, गैबॉन, इंडोनेशिया, लीबिया, मॉरिटानिया, मैक्सिको, नामीबिया, पाकिस्तान, सेनेगल, सोमालिया, सूडान, उज़्बेकिस्तान और वेनेज़ुएला।
इसे 43 पर्यवेक्षक राज्यों का भी समर्थन मिला: अफ़ग़ानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बेनिन, ब्रुनेई दारुस्सलाम, चाड, कोमोरोस, जिबूती, मिस्र, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, इस्लामी गणराज्य ईरान, इराक, जॉर्डन, कज़ाख़स्तान, कुवैत, किर्गिस्तान, लेबनान, मलेशिया, मालदीव, माली, मोरक्को, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, कतर, सऊदी अरब, सिएरा लियोन, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, यमन और फिलिस्तीन राज्य।
यह देखते हुए कि 47 सदस्यों में से कम से कम एक तिहाई या 16 के अनुमोदन के बाद विशेष सत्र बुलाया जा सकता था, इस सप्ताह गुरुवार को परिषद् का एक विशेष सत्र निर्धारित किया गया था। सत्र में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने गाज़ा में भयावह घटनाओं और फिलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्ज़ा करने पर शोक व्यक्त किया, जिसके परिणामस्वरूप 63 बच्चों सहित इज़रायली सुरक्षा बलों के हाथों 242 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। उन्होंने इस तथ्य पर भी चिंता व्यक्त की कि 74, 000 फिलिस्तीनी विस्थापित हो गए हैं।
उसने कहा कि जबकि इज़रायल ने कुछ सावधानी बरती, जैसे कि कुछ मामलों में हमलों की अग्रिम चेतावनी दी लेकिन इसके बलों ने फिर भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों पर हमला किया और कई नागरिकों को मार डाला और नागरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया। उच्चायुक्त ने कहा कि जबकि इज़रायल को अपने नागरिकों और निवासियों की रक्षा करने का अधिकार है, इसके कार्यों ने अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत भेद और आनुपातिकता के सिद्धांतों के अनुपालन के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि अपने इज़रायली समकक्षों के विपरीत, जो आयरन डोम और पेशेवर सैन्य बलों की उपस्थिति की वजह से कुछ हद तक संरक्षित हैं, फिलिस्तीनी नागरिकों के पास सैन्य अभियानों और हवाई हमलों के ख़िलाफ़ वस्तुतः कोई सुरक्षा नहीं है। इसके अलावा, भूमि, वायु और समुद्री नाकाबंदी के कारण उनके पास बचने के लिए भी कोई जगह नहीं है।
ओएचसीएचआर प्रमुख ने विशेष रूप से शेख जर्राह और पूर्वी जेरूसलम के अन्य क्षेत्रों में जबरन बेदखली को समाप्त करने के लिए इज़रायल का आह्वान किया। इसके अलावा, उन्होंने बैट-यम, जाफ़ा और एकर शहरों में अल्ट्रा-राइट-विंग समूहों द्वारा इज़रायल के फ़िलिस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ प्रताड़ना और हमलों की जाँच की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि इज़रायली पुलिस इन निवासियों की पर्याप्त रूप से रक्षा करने हेतु हस्तक्षेप करने में विफल रही और कई बार फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक बल का इस्तेमाल किया।
बाचेलेट ने दो बच्चों सहित 10 इज़रायली नागरिकों की हत्या के लिए हमास को भी निशाने पर लिया गया। उन्होंने कहा कि हमास और इस्लामिक जिहाद ने इज़रायल की ओर अंधाधुंध भारी रॉकेट हमले किए जो सेना और नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता और इस तरह इसने अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन किया।
10 मई से गाज़ा के उग्रवादी समूहों- हमास और इस्लामिक जिहाद ने पूर्वी जेरूसलम में शेख जर्राह इलाके से सैकड़ों फ़िलिस्तीनियों को जबरन बेदख़ल करने और अल-अक्सा मस्जिद में इज़रायली पुलिस कार्रवाई पर विरोध प्रदर्शन के बाद इज़रायल पर रॉकेट फायरिंग शुरू कर दी। इज़रायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने ज़ोरदार हवाई हमले के साथ इन हमलों का जवाब दिया, जिसकी वजह से हमले की ज़द में आए आम नागरिकों को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।
पिछले शुक्रवार को, इजरायल और हमास ने मिस्र की मध्यस्थता वाले युद्धविराम समझौते के माध्यम से 11 दिनों की लड़ाई के बाद गाज़ा पट्टी में हिंसा समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की और ऐसा लगता है कि यह अब तक समझौते का सम्मान कर रहे है।
हालाँकि, बाचेलेट ने कहा कि संघर्ष के मूल कारणों पर ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि उन्हें उम्मीद थी कि "यह आखिरी बार होगा जब हमें इस तरह के एक विशेष सत्र की आवश्यकता होगी।" उन्होंने स्वीकार किया कि वास्तविक और समावेशी शांति प्रक्रिया जो कब्ज़े को समाप्त कर सकती है, के न होने की स्थिति में यह संभवतः हिंसा का को जल्द ही फिर से शुरू कर देगा। साथ ही, पिछले मानवाधिकारों के उल्लंघन और हनन के लिए जवाबदेही भी होनी चाहिए।"
इसके लिए, बाचेलेट ने हमास और अन्य सशस्त्र समूहों से रॉकेट और मोर्टार फायरिंग बंद करने और इज़रायल पर अंतर्राष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानूनों का सम्मान करने का दबाव बनाने का आह्वान किया। इसके अलावा, उसने इज़रायल को अपने सुरक्षा बलों द्वारा किए गए किसी भी प्रताड़ना के मामलें में निष्पक्ष, स्वतंत्र जांच शुरू करने और वेस्ट बैंक, पूर्वी जेरूसलम और गाज़ा में फिलिस्तीनियों के जीवन, सुरक्षा और विधानसभा की स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
यूएनएचआरसी के हालिया संघर्ष में अपनी जांच शुरू करने के फैसले ने इज़रायल उम्मीद के विपरीत आश्चर्यजनक रूप से इस फैसले से नाराज़ है। इज़रायल के जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि, मीरव एलोन शहर ने कहा कि "प्रस्ताव का वास्तविकता और मानव अधिकार से कोई लेना-देना नहीं है।" उन्होंने आगे इज़रायल और सदस्यों के ख़िलाफ़ हमास को प्रोत्साहित करने और इनाम देने के लिए परिषद के पूर्वाग्रह की निंदा की, जिसे वह नस्लवादी, नरसंहार, आतंकवादी संगठन के रूप में मानता है। उन्होंने कहा कि इज़रायल ने नागरिकों की रक्षा के लिए सभी उपाय किए लेकिन हमास फिलिस्तीनियों को मानव ढाल के रूप में उपयोग करता है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में नागरिक जीवन का नुकसान अनिवार्य है। उन्होंने घोषणा की कि "यदि आप हमास की निंदा नहीं करते हैं तो आप फिलिस्तीन समर्थक नहीं हो सकते।"
इन भावनाओं को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में इज़रायल के स्थायी प्रतिनिधि और संयुक्त राज्य अमेरिका में राजदूत गिलाद एर्डन द्वारा प्रतिध्वनित किया गया था। उन्होंने प्रस्ताव को अपमानजनक, भयावह, एकतरफा और यहूदी विरोधी बताया। उन्होंने तर्क दिया कि यह "इज़रायल के नागरिकों पर दागे गए रॉकेटों की उपेक्षा करता है और इज़रायल को हमास, जो की एक आतंकवादी संगठन है के समान मानता है। इससे हमास और दुनिया भर में अन्य आतंकवादी संगठनों को वैधता मिलती है।"
हालाँकि, हमास ने प्रस्ताव का स्वागत करते हुए अपने कार्यों को वैध प्रतिरोध के रूप में बचाव किया है और इज़रायल को दंडित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है।
यूएनएचआरसी की यह जांच, इज़रायली रक्षा बलों (आईडीएफ), हमास और वेस्ट बैंक, गाज़ा के इज़रायल के कब्ज़े वाले क्षेत्रों और पूर्वी जेरूसलम में अन्य फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों द्वारा युद्ध अपराधों की अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) की जांच के समानांतर चलेगी। आईसीसी जांच को फरवरी में मंज़ूरी दी गई थी और इसकी भी इज़रायल ने भारी आलोचना की है, जिसने न्यायालय के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया और कहा कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है।