बिडेन प्रशासन ने मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका हस्तक्षेप को काम करने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि वह इस साल 9/11 की 20 वीं वर्षगांठ से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी सैनिकों को युद्धग्रस्त देश से निकाल लेगा।

एक बैकग्राउंड प्रेस कॉल में, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति बिडेन ने अपने मंत्रिमंडल, कांग्रेस के सदस्यों, अफ़ग़ान सरकार, नाटो सहयोगियों और साझेदारों और अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय शक्तियां के सदस्यों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद अमेरिकी हितों की रक्षा करने के लिए वास्तविक, यथार्थवादी विकल्प" के तौर पर यह फैसला लिया है। अधिकारी ने इस बात पर पर ज़ोर दिया कि संकटग्रस्त अफ़ग़ानिस्तान के लिए किसी भी तरीके का उपयुक्त सैन्य समाधान नहीं निकाला जा सका है और अमेरिका वर्तमान में चल रही शांति प्रक्रिया में अपना सहयोग देता रहेगा।

अमेरिका 1 मई से पहले अपनी सेना वापसी प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जो कि फरवरी में हस्ताक्षरित अमेरिका-तालिबान शांति समझौते की शर्तों के तहत पूर्ण सैन्य वापसी की निर्धारित समय सीमा है। अधिकारी इस बात पर जोए देते हुए कहा कि "जल्दबाजी, गैर-समन्वित वापसी" अमेरिका और सम्बंधित बलों को जोखिम में डाल सकती थी और यह "व्यवहार्य विकल्प नहीं था"। यही वजह है कि प्रशासन सैनिकों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकलने के लिए अपने नाटो सहयोगियों और परिचालन भागीदारों के साथ समन्वय में काम करेगा। अधिकारी ने कहा, "हम एक साथ गए थे, एक साथ समायोजित हुए और अब हम एक साथ निकलने की तैयारी करेंगे।"  यह पिछले महीने नाटो के विदेश मंत्री के अमेरिकी और नाटो के बयानों के अनुरूप है, जिसमें नेताओं ने परामर्श-केंद्रित और शर्तों पर आधारित पुल-आउट के लिए तर्क दिया, जो सुरक्षा लाभ को कम नहीं करेगा।

सैन्य उपस्थिति में कमी के बावजूद, अधिकारी ने कहा कि अमेरिका अफ़ग़ान सरकार के साथ "गहराई से जुड़ा" रहेगा और शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए न केवल मजबूत राजनयिक समर्थन देगा, बल्कि आर्थिक और मानवीय उपकरण प्रदान करने के लिए अन्य देशों के साथ काम करेगा ताकि अफगान महिलाओं द्वारा किए गए प्रगतिशील कार्यों को समर्थन दिया जा सके। अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन अफ़ग़ानिस्तान में किसी भी भविष्य की सरकार को शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के लिए संसाधनों का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका  कांग्रेस मिल कर उन लोगों के लिए स्पेशल इमिग्रेंट वीसा की प्रक्रिया में तेज़ी लाने का प्रयत्न करेगा जिन्होंने अमेरिका के प्रयासों का अफ़ग़ानिस्तान में समर्थन किया।

आतंकवाद  मुकाबले की चुनौती के सम्बन्ध में अधिकारी बात पर ज़ोर दिया कि अमेरिका ने किसी तरह के महत्तवपूर्ण संकेतों को नज़रअंदाज़ नहीं किया और वाशिंगटन इस तरह के खतरे का मुकाबला करने के लिए अपने समकक्षता क्षमताओं को बदलने और क्षेत्र में महत्वपूर्ण संपत्ति बनाए रखने के लिए अपने सहयोगियों के साथ "लगातार" काम करना जारी रखेगा।  अधिकारी ने आगे यह कहा कि राष्ट्रपति बिडेन अब 9/11 के बाद के बदलावों से अब अमेरिका का ध्यान वर्त्तमान प्राथमिकताओं जैसे कि चीन के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा और वैश्विक महामारियों की ओर बदलना चाहते है।

बिडेन को बुधवार को इस मुद्दे पर औपचारिक बयान देने की उम्मीद है। यह निर्णय निस्संदेह इस सप्ताह तुर्की में होने वाली अफ़ग़ानिस्तान की आगामी अंदरूनी शांति बैठक को प्रभावित करेगा, जो तालिबान और अफ़ग़ान सरकार के बीच वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका द्वारा प्रायोजित प्रयास है। क़तर से तालिबान प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने मंगलवार को कहा कि तालिबान समूह "किसी भी सम्मेलन में भाग नहीं लेगा जो अफ़ग़ानिस्तान के बारे में निर्णय करेगा" जब तक कि सभी विदेशी सेनाएँ देश से पूरी तरह से वापस नहीं बुला ली जाती। तालिबान ने 1 मई की समय सीमा का पालन नहीं करने पर अमेरिका और नाटो कर्मियों पर हमले को नए सिरे से शुरू करने की चेतावनी भी दी है, जिससे की देश में शत्रुता और अस्थिरता फिर से शुरू होने की आशंका जताई जा रही है। 

लेखक

Statecraft Staff

Editorial Team