मंगलवार को क्षेत्र में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) के आतंकवादियों के ख़िलाफ़ तुर्की की लगातार बमबारी के कारण यज़ीदी शरणार्थियों को इराकी कुर्दिस्तान के ज़ाखो में अपने शिविरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। यज़ीदियों को 2014 में इराक के नीनवे प्रांत के शिंगल से इस्लामिक स्टेट द्वारा उनके ख़िलाफ़ किए गए अत्याचारों के कारण विस्थापित होना पड़ा था।
ख़बरों के अनुसार, तुर्की के आक्रमण के कारण 3,000 से अधिक लोगों ने अपने शिविरों- बर्सिव 1, बर्सिव 2 और डेरकार को छोड़ दिया। ज़ाखो से भागे शरणार्थियों में से एक ने रुडॉ को बताया कि "युद्ध हर दिन होता है, लगातार हवाई हमलों के साथ। हम बहुत डरे हुए हैं। हम में से हर एक ने किसी न किसी समय मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझ रहे है।" समाचार एजेंसी ने बताया कि तुर्की के हवाई हमले रोज़ाना होते हैं और लोगों की आजीविका को नष्ट करने का जोखिम पैदा करते हैं।
यज़ीदी मध्य पूर्व में एक धार्मिक अल्पसंख्यक हैं और मुख्य रूप से इराक, सीरिया और तुर्की में केंद्रित हैं, खासकर नीनवे और दुहोक के इराकी प्रांतों में। आईएस ने 2014 में उनके धार्मिक विश्वासों के कारण जानबूझकर उन्हें निशाना बनाया और आतंकवादी समूह द्वारा यज़ीदी समुदाय के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर अत्याचार किए गए।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार, आईएसआईएस ने 5,000 से अधिक यज़ीदियों की हत्या की, लगभग 7,000 यज़ीदी महिलाओं और बच्चों का अपहरण और उन्हें गुलाम बनाया और लगभग 50,000 को उनके घरों से बेदखल कर दिया। मई में, संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की कि उसे यज़ीदियों के ख़िलाफ़ किए गए नरसंहार के सबूत मिले हैं।
इराक में तुर्की सेना के हवाई हमलों से भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्षति हुई है। ख़बरों के अनुसार, मंगलवार को दुहोक में हवाई हमले में भीषण आग लग गई, जिससे हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि नष्ट हो गई। एक अधिकारी ने कहा कि 2021 के पहले पांच महीनों में तुर्की के हवाई हमलों के कारण 4,000 एकड़ से अधिक भूमि नष्ट हो चुकी है।
कुर्दिस्तान में पीकेके के ख़िलाफ़ तुर्की के बमबारी अभियान के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर वनों की कटाई हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि तुर्की जानबूझकर अपने सैनिकों के लिए सैन्य अभियान चलाने के लिए अधिक सुलभ मार्ग बनाने के लिए क्षेत्र की कटाई करता रहता है।
इस संदर्भ में कुर्दिस्तान क्षेत्रीय सरकार (केआरजी) के प्रवक्ता जोतियार आदिल ने कहा कि तुर्की-पीकेके संघर्ष कुर्दिस्तान क्षेत्र को नुकसान पहुंचाएगा। आदिल ने कहा कि "हम मानते हैं कि इस बल की उपस्थिति तुर्की सेना के लिए एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करती है और हमारी राय में इसका मुख्य उद्देश्य कुर्दिस्तान क्षेत्र को एक इकाई के रूप में कमजोर करना है। पीकेके का उद्देश्य कुर्दिस्तान क्षेत्र या इराक़ नहीं है। यह तुर्की में है। यहां उनकी मौजूदगी का एक राजनीतिक कारण है और हमारी राय में, उनकी नीतियां कुर्दिस्तान क्षेत्र के खिलाफ हैं।”
तुर्की ने विशेष रूप से जनवरी से पीकेके के ख़िलाफ़ अपने सैन्य अभियानों की संख्या बढ़ा दी हैं। 24 अप्रैल को, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने इराक और सीरिया से आतंकवादी खतरों को खत्म करने के लिए ऑपरेशन क्लॉ लाइटनिंग एंड क्लॉ थंडरबोल्ट शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि "हम आतंक को खत्म करने और अपने नागरिकों को पूरी तरह से आतंकवाद से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" तुर्की सेना अभियान के तहत कुर्द गांवों पर बमबारी कर रही है और मई में 44 पीकेके आतंकवादियों को मार गिराया है।
दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ दशकों पुरानी जंग लड़ रहे हैं। जबकि पीकेके का दावा है कि वह कुर्द संप्रभुता के लिए लड़ रहा है, अंकारा ने ज़ोर देकर कहा कि समूह एक आतंकवादी संगठन है और इसे समाप्त करने की आवश्यकता है। पीकेके को अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा एक आतंकवादी समूह के रूप में भी नामित किया गया है और सीरिया और इराक में अपने ठिकानों से तुर्की के खिलाफ हमले शुरू करने के लिए जाना जाता है।